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बयान-ए-दिग्विजय सिंह: विवादित बयानबाजी करके स्वयं को सुर्खियों में रखना चाहते हैं कुछ नेता

      News Word  @ कवि : सोमवारी लाल सकलानी , निशांत     भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री दिग्विजय सिंह के बयान को पढ़कर है...

  

बयान-ए-दिग्विजय सिंह: विवादित बयानबाजी करके स्वयं को सुर्खियों में रखना चाहते हैं कुछ नेता

 

News Word @कवि : सोमवारी लाल सकलानी, निशांत

    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री दिग्विजय सिंह के बयान को पढ़कर हैरानी हुई। क्या दिग्विजय सिंह एक राष्ट्रीय पार्टी को निचले ग्राफ पर ले जाना चाहते हैं? या वह जानबूझ कर विवादित बयान बाजी  करके अपने को सुर्खियों में रखना चाहते हैं? या उनके पास विकास, उन्नयन, प्रगति, रोजगार आदि का कोई मुद्दा नहीं है? भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गरिमा मय इतिहास रहा है। देश की अखंडता और एकता उसकी आत्मा रही है।  धारा 370 पर उनका वर्तमान में दिया गया बयान अफसोस जनक है!

मोदी जी ने धारा 370 को समाप्त करके भारतवर्ष का गौरव बढ़ाया है।

जिस समय धारा 370 लागू की गई होगी, उस समय के राजनेताओं ने न जाने किन परिस्थितियों में वह समझौता किया होगा। हो सकता है वह उस समय और परिस्थितियों  की मांग रही हो। लेकिन जब 1990 में लाखों कश्मीरी पंडितों का वध किया गया। निसृंश हत्या की गई। बलात्कार किया गया। उनको अपने मूल स्थान से भगाया गया, जो आज भी त्रासदी का जीवन जी रहे हैं। उसके बाद महसूस हुआ कि धारा 370 के दुष्परिणाम कितने घातक हैं। माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने धारा 370 को समाप्त करके भारतवर्ष का गौरव बढ़ाया जो कि सम्मानजनक है।

बड़े नेताओं की बातें राष्ट्रीय विचारधारा के रूप में स्वीकार की जाती हैं

विचारधारा प्रत्येक व्यक्ति के कुछ भी हो सकती हैं। लेकिन किसी बड़े नेता की बात हो तो उनकी बातें देश को ऊंचाई पर भी ले जा सकती है। पार्टी को ऊंचाई पर भी ले जा सकती है और रसातल में भी ले जा सकती है क्योंकि बड़े नेताओं की बातें जब हम सुनते हैं तो वह राष्ट्रीय विचारधारा के रूप में स्वीकार की जाती हैं।

     श्री दिग्विजय सिंह को एक बहुत बड़ा राजनीतिक अनुभव है। इस प्रकार के विवादित बयान देने से उन्हें बचना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी, भारतीय जनता पार्टी या अपने विरोधी दलों की वह जितनी चाहे उतनी आलोचना कर लें, उनके जो असंगत फैसले हैं उन पर टिप्पणी कर सकते हैं। लेकिन यह वैधानिक निर्णय है जो देश की एकता से संबंधित है।

वोट बैंक के लिए देश को तोड़ने का प्रयास स्वीकार्य नहीं

    वोट बैंक के लिए जनता को गुमराह करके, देश को तोड़ने का प्रयास स्वीकार्य नहीं है। हमारे हजारों सैनिक कश्मीर में वीरगति को प्राप्त हो रहे हैं। प्रतिदिन स्थानीय लोग कुर्बानियां दे रहे हैं। श्री दिग्विजय सिंह हो या कोई और नेता, चाहे वह किसी भी पार्टी के हों, जहां पर राष्ट्र की अस्मिता को आंच पहुंचाने की बात करते हैं, वह पार्टी के लिए घातक सिद्ध होता है ।

    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का देश के इतिहास में अपना गरिमा पूर्ण स्थान है। माननीय पूर्व प्रधानमंत्री जी इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने देश के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दी है। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को जनता के सम्मुख सम्यक रूप से प्रस्तुत करने का श्री दिग्विजय सिंह के पास समय नहीं है? जितनी नकारात्मक  बातें जो राजनीतिक पार्टियां करती हैं, समझो कि वह उतना ही अपनी पार्टी का नुकसान कर रही हैं क्योंकि आज जनता इतनी बेवकूफ नहीं है कि किसी के बरगलाने पर आकर अपने वोट का प्रयोग करे।

    आज भी भारत देश में विचारक हैं। अच्छे लोग हैं। अच्छी सोच रखते हैं। आदरणीय सोनिया गांधी जी के मुंह से मैंने कभी इस तरह की बात नहीं सुनी। कांग्रेस, बीजेपी या किसी अन्य पार्टी के कुछ नेता इस प्रकार की असंगत बयानबाजी करते हैं, जो देश के लिए खतरनाक हैं। देश के अमर शहीदों ने अपने प्राणों की बाजी लगाई। देश की अखंडता और एकता हमारे संविधान की मूल भावना के अनुरूप है। एक राष्ट्र में दो प्रकार के विधान कालांतर में नासूर बन जाते हैं, इसलिए प्रधानमंत्री श्री मोदी जी का यह फैसला अनुकरणीय था और उसका आदर किया जाना चाहिए। न कि उसको विवादित मुद्दा बनाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब करने का प्रयास किया जाना चाहिए। मेरा श्री दिग्विजय सिंह जी से आग्रह है कि वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता होने के नाते जिस प्रकार के बयानों से बचें, क्योंकि हो सकता है कल के दिन वह भी भारत के प्रधानमंत्री बन सकते हैं।

      क्षेत्रीय पार्टियों के इस प्रकार के बयानों पर कोई ध्यान नहीं देता क्योंकि उनके स्थानीय मुद्दे होते हैं और वह अपने स्वार्थ सिद्धि और अपने लाभों के लिए घटिया  बयान भी दे सकते हैं। कभी उनको लाभ मिला। कभी नुकसान भी पहुंचा । लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ,भारतीय जनता पार्टी या कोई भी अन्य राष्ट्रीय स्तर के पार्टियों को इस प्रकार की बातें अशोभनीय है। विशेषकर वरिष्ठ नेताओं के मुख से। इस प्रकार के शब्दों को सुनकर जनमानस को पीड़ा पहुंचती है और राष्ट्रीय नीति के भी विपरीत हो सकती हैं।

    यहां पर राजनीति की कोई बात नहीं है। राजनीति अपने ढंग से चलती है। राजनीति में विरोध करना लाजमी है। संसद में बहस होती हैं लेकिन एक संवैधानिक और लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार के इस प्रकार के फैसलों के ऐसी बयानबाजी करना उचित नहीं है ।

    सत्ता के लिए राजनीतिक दलों के लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। बड़े लोगों की बातें राष्ट्रीय मीडिया में चलती हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनी जाती हैं और उनका अपना एक मूल्य होता है। उस पर बहस होती हैं। लोग टिप्पणियां करते हैं और कभी-कभी तो निष्कर्ष भी निकल जाते हैं।

     सन 1947 में जब देश आजाद हुआ था तो उस समय की परिस्थितियां न जाने कैसे रहीं होंगी, जिसके कारण वह निर्णय लिया गया होगा। आज  की परिस्थितियों भिन्न हैं।

     2022 में विधानसभाओं के चुनाव हैं और 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं। यदि हमारी बड़ी पार्टियों के वरिष्ठ नेता इस प्रकार के विवादित  बयान देते रहेंगे, तो वह उनकी पार्टियों के लिए ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र के लिए नुकसान जनक होगा, क्योंकि तब तक न जाने कितने छोटे बड़े नेता, थाली के बैंगन की तरह इधर-उधर होंगे और तुरंत अपनी विचारधारा बदल देंगे। या कहेंगे कि जुबान फिसल गई थी। अखंड भारत, एक भारत, एक राष्ट्र के रूप में हमेशा रहेगा।*

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