विशिष्ट उद्देश्य प्राप्ति हेतु दी जाने वाली शिक्षा ही प्रशिक्षण है: सीएम पी.टी.सी में आडिटोरियम निर्माण के साथ साइबर क्राइम को रोकने हेतु ...
विशिष्ट उद्देश्य प्राप्ति हेतु दी जाने वाली शिक्षा ही प्रशिक्षण है: सीएम
पी.टी.सी में आडिटोरियम निर्माण के साथ साइबर क्राइम को रोकने हेतु कोर्सेज होंगे शुरू
साईबर एवं डिजिटल अपराधों से निपटना पुलिस के लिए प्रमुख चुनौती
पुलिस में जन सेवक के गुण होने बहुत जरूरी: डीजीपी
प्रशिक्षणोंरांत पास आउट 17 पुलिस उपाधीक्षक हुए पास आउट
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नई टिहरी: मुख्यमंत्री
श्री तीरथ सिंह रावत ने गुरूवार को पी.टी.सी नरेन्द्रनगर में पुलिस उपाधीक्षक
आधारभूत प्रशिक्षण दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने
प्रशिक्षणरत पुलिस उपाधीक्षकों को प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर
प्रदर्शन करने पर सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री द्वारा जिन पुलिस उपाधीक्षकों को सम्मानित किया गया उनमें सुश्री रीना राठोर, सुश्री नताशा सिंह, श्री अभिनय चौधरी, श्री स्वप्निल मुयाल, श्री सुमित पाण्डे शामिल हुए। इस बार 17 पुलिस उपाधीक्षकों ने पी.टी.सी. नरेन्द्र नगर से अपना प्रशिक्षण पूरा किया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि पी.टी.सी में आडिटोरियम का निर्माण किया जायेगा। साइबर क्राइम को रोकने हेतु कोर्सेज शुरू किये जायेंगे। पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों में कार्यरत प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण भत्ता दिया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने प्रशिक्षण के उपरांत पास
आउट होने वाले सभी पुलिस उपाधीक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि किसी विशेष उद्देश्य
की प्राप्ति के लिए दी जाने वाली शिक्षा ही प्रशिक्षण है। प्रशिक्षण कोई एक दिन
में पूर्ण होने वाला वन टाइम टास्क नहीं है, अपितु
उसके अनुरूप खुद को बदलना पड़ता है। प्रशिक्षण ही वह माध्यम है जिसके द्वारा हम
अपने पेशेवर कार्यों को तेजी व दक्षता से करने में सक्षम होते हैं।
उन्होंने कहा कि पी.टी.सी प्रशिक्षुओं को कानूनों की जानकारी
के अलावा शस्त्र संचालन आदि अनेक प्रकार के जरूरी कौशल का प्रशिक्षण भी दिया गया
होगा, परंतु क्षमताओं का वास्तविक आकलन तो तभी
होगा, जब हम अपने सीखे हुए ज्ञान एवं कौशल को अपने व्यवहारिक जीवन सही व सहज तरीके
से प्रयोग करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की कई विविधताएं हैं, कठिन भौगोलिक परिस्थिति एक सबसे बड़ी चुनौती है जहां - बाढ़, बादल फटना, भू-स्खलन, भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाओं के अतिरिक्त सड़क दुर्घटनाओं का यदा-कदा सामना करना पड़ता है, ऐसे में हमारी राज्य पुलिस की भूमिका अन्य राज्यों की तुलना में और भी चुनौतीपूर्ण होजाती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एक पर्यटक एवं धार्मिक स्थल बहुल राज्य है, यहां बाहर से प्रतिवर्ष उसकी कुल आबादी दोगुने से भी अधिक पर्यटक एवं श्रद्धालु आते हैं। पर्यटन उद्योग राज्य की आय का प्रमुख स्रोत भी है, ऐसे में राज्य पुलिस की भूमिका अत्यन्त ही महत्वपूर्ण हो जाती है। पुलिस को न केवल पर्यटकों के आवागमन को सुदृढ़ एवं सुरक्षित बनाने में अहम भूमिका निभानी है, अपितु पर्यटकों को सुरक्षित भी महसूस करवाना होता है।
मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि भविष्य में साईबर
एवं डिजिटल तकनीकी के माध्यम से होने वाले आर्थिक अपराधों, साईबर
अपराधों एवं सामाजिक अपराधों से निपटना पुलिस के लिए प्रमुख चुनौती है। इसको भी
ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षण के दौरान साइबर अपराधों से निपटने की भी जानकारी
उन्हें दी गई होगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पुलिस अन्य अपराधों के अलावा साइबर
और संगठित अपराधों पर रोक लगाकर राज्य में चौतरफा सुरक्षा का माहौल तैयार करेंगे।
कोरोना संकट के इस दौर में उत्तराखण्ड पुलिस ने कई नई-नई चुनौतियों का सामना किया
है।
पुलिस महानिदेशक श्री अशोक कुमार ने कहा कि पुलिस के सामने अनैक चुनौतियां हैं। पुलिस को नई-नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए यह कठिन प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने कहा कि पुलिस में जन सेवक के गुण होने बहुत जरूरी हैं। हमारा मकसद पीड़ित केन्द्रित होना चाहिए। हमारा प्रयास होना चाहिए कि समाज के ऐसे लोगों को न्याय दिलाया जाए जो सुविधाओं से वंचित हैं। पुलिस के पास यूनिफार्म के साथ ही कानूनी अधिकार भी है।
इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सुबोध उनियाल, अपर पुलिस महानिदेशक, डॉ. पी.वी.के. प्रसाद, पुलिस महानिरीक्षक, प्रशिक्षण श्री पूरन सिंह रावत, निदेशक पी०टी०सी० श्री राजीव स्वरूप, जिलाधिकारी टिहरी श्रीमती ईवा आशीष श्रीवास्तव, एस.एस.पी टिहरी सुश्री तृप्ति भट्ट आदि उपस्थित थे।
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