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ढह गया टिहरी का एक और स्तम्भ! डॉक्टर नरेंद्र सिंह नेगी जी को उनके महा प्रयाण पर विनम्र श्रद्धांजलि

(1)यह एक त्रासदी _ आदरणीय डॉक्टर नरेंद्र सिंह नेगी जी (अब स्वर्गीय) का जाना टिहरी वालों के लिए एक त्रासदी से कम नहीं है । लगभग 50 वर्षों तक ...

(1)यह एक त्रासदी _ आदरणीय डॉक्टर नरेंद्र सिंह नेगी जी (अब स्वर्गीय) का जाना टिहरी वालों के लिए एक त्रासदी से कम नहीं है । लगभग 50 वर्षों तक पुरानी टेहरी और चंबा में आपने असंख्य लाईलाज रोगियों की जान बचाई। अनेक बीमारियों के आप चिकित्सक रहे हैं। टिहरी की अधिकांश जनता आपको एक पारिवारिक चिकित्सक के रूप में हमेशा ही स्वीकारती थी । ( 2) स्मरण _ 90 के दशक में जब पुरानी टिहरी में आपकी डिस्पेंसरी थी तो पिताजी अक्सर आपके पास आर्थराइटिस की दवा लेने के लिए जाया करते थे। आपको दवा से उन्हें काफी रिलीफ मिलता था। पुरानी टेहरी के अवसान के बाद आपने चंबा में अपना क्लीनिक खोला। लाखों रोगियों का आपने ईलाज किया। आपके हाथ में एक प्रकार का जश था । लाईलाज रोगी भी चंगे हो करके घर चले जाते थे और कभी भी आपका अहसान नहीं भूलते थे । डॉक्टर नेगी एक सहृदय व्यक्ति भी थे ।यदि कोई पेशेंट मसूरी रोड स्थित उनके क्लीनिक के अंदर जाने में असमर्थ होता था तो अपना आला लेकर के तुरंत बाहर आ जाते थे और वहीं पर चेकअप करके दवा लिख लेते थे। रोगियों के मन में आपके प्रति एक ईश्वर के समान श्रद्धा और विश्वास कायम हो चुका था। 21 नवंबर सन 2002 को जब पिताजी अस्वस्थ हुए तो मैंने उन्हें देहरादून ले जाने के लिए सुझाव दिया लेकिन पिताजी नहीं माने उन्होंने कहा , " चंबा डॉक्टर नेगी के पास ले चलो और वह दवा लिख लेंगे । उनकी दवाओं को खाने के बाद मैं निश्चित रूप से ठीक हो जाऊंगा"। मैंने टैक्सी बुक की और पिताजी को जब चम्बा लाया उस समय शाम का समय था। डॉक्टर नेगी काफी व्यस्त थे ।बाहर सैकड़ों पेशेंट्स की भीड़ लगी हुई थी। मैंने अंदर जाकर उनसे बताया कि पिताजी को देखना है क्योंकि उन्हें थोड़ा चलने में दिक्कत है । डॉक्टर नेगी ने तुरंत अपना आला (स्टेथस्कॉप) लेकर के बाहर आए। उन्होंने पिताजी का चेस्ट आदि चेकअप किया और फिर मुझे अंदर बुला कर के कहा, " इन्हें देहरादून अब मत ले जाना । अपने साथ रखें। कुछ दवा लिख रहा हूं । इन दवाओं को खिला देना। बाकी ईश्वर की मर्जी"। मैं डॉक्टर साहब का आशय एकदम समझ गया क्योंकि नवंबर का महीना था। ठंड भी काफी ज्यादा थी। पिताजी की उम्र उस समय 84 साल की थी। इसलिए डॉक्टर नेगी जी तुरंत भांप गए कि वे अब कुछ घंटे के ही मेहमान हैं। मैं दवा ले करके उन्हें अपने कार्य क्षेत्र में लाया । 6:00 बजे पिताजी घर पर पहुंचे और 8:00 बजे 2 घंटे बाद उनका देहावसान हो गया ।मैं डॉक्टर नेगी जी की सदाशयता को कभी भूल नहीं सकता । अन्यथा पिताजी का इलाज कम और फजीहत अधिक होती । ( 3) पारिवारिक _ डॉक्टर नेगी के उदीयमान पुत्र डॉ विजय नेगी का भी प्रथम नियुक्ति मेरे कार्यस्थल में ही हुई । कई वर्षों तक उन्होंने राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कांडीखाल में चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्य किया । उसके बाद उनका स्थानांतरण नई टिहरी हो चुका था। एक दो बार उन्हें नई टिहरी में उनकी क्लीनिक में मिला तो काफी सुकून मिला। डॉक्टर नरेंद्र सिंह नेगी थाती बूढ़ा केदार क्षेत्र के एक सम्मानित परिवार के व्यक्ति हैं जो कि सदैव समाज की सेवा करना अपना कर्तव्य समझते हैं। और शिष्टाचार में तो कोई उनसे उतार के ही होगा। उनके भाई श्री बलवीर सिंह नेगी पूर्व माननीय विधायक और राज्यमंत्री ,अनेकों गुणों के भंडार रहें है। वर्ष 1989 मे चंबा चौक में उनकी सभा संबोधित करने का अवसर प्राप्त हुआ था। एक बार वह कांडीखाल में रुके तो हमारे प्रधानाचार्य श्री बीएल बहुगुणा जी को चरण स्पर्श किया। मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कि एक माननीय विधायक और पूर्व मंत्री अपने बड़ों का किस प्रकार से आदर करता है। यह उनके परिवार की महानता को प्रदर्शित करता है। (4) सामाजिकता _ नरेंद्र सिंह नेगी फुर्सत के क्षणों में गढ़वाल मेडिकल हॉल चंबा में आदरणीय गुरु प्रसाद कुकरेती जी के यहां अक्सर बैठा करते थे और वहीं पर उनसे अधिकांश दुआ सलाम होती थी या फिर कभी अस्वस्थ होने के कारण उनके क्लीनिक में जाना पड़ता था । वह आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दोनों चिकित्सा में पारंगत थे । मेरा मानना है कि उन्हें कुछ भगवान की ऐसी शक्ति दी हुई थी कि उनका रोगी ,लाइलाज रोगी भी उनकी दवा से भला चंगा होकर के घर चला जाता था । ( 5) श्रद्धांजलि _आज उनके देहावसान पर कई तस्वीर दिमाग के अंदर आ रही है और पुरानी टिहरी से लेकर चंबा तक लोगों का उनके प्रति बहुत बड़ा सम्मान रहा। है और रहेगा। स्वर्गीय डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद उनियाल , ललता प्रसाद गैरोला, पुरानी टिहरी के डॉक्टर बडोनी तथा डॉक्टर नरेंद्र सिंह नेगी टिहरी गढ़वाल के चिकित्सा के क्षेत्र में स्तंभ के रूप में सदैव याद किए जाएंगे। मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं । भगवान उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दे । @कवि :सोमवारी लाल सकलानी ,निशांत सुमन कॉलोनी चंबा, टेहरी गढ़वाल।

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