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डॉ. हर्षवर्धन ने डीआरडीओ के उच्च उन्नतांश रक्षा संस्थान (डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई अल्टीट्यूड), लद्दाख द्वारा आयोजित आईआईएसएफ 2020 के पूर्वालोकन कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित किया

वैज्ञानिक विकास के माध्यम से लद्दाख में स्थानीय लोगों और सैनिकों के रहने की स्थिति में सुधार लाने और रणनीतिक रूप से स्थित इस क्षेत्र में सैन...

वैज्ञानिक विकास के माध्यम से लद्दाख में स्थानीय लोगों और सैनिकों के रहने की स्थिति में सुधार लाने और रणनीतिक रूप से स्थित इस क्षेत्र में सैन्य नागरिकों के समेकन में विशिष्ट योगदान के कारण उच्च उन्नतांश अनुसंधान रक्षा संस्थान (डीआईएचएआर) को इस कार्यक्रम के लिए चुना गयाः डॉ. हर्षवर्धन आईआईएसएफ-2020 का वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर आयोजित करना विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के सभी हितधारकों के बीच विज्ञान के पोषण और जश्न की अजेय भावना को दर्शाता हैः डॉ. हर्षवर्धन आईआईएसएफ-2020 की थीम: ‘आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक कल्याण के लिए विज्ञान’ आज के संदर्भ में बहुत प्रासंगिक है, जब राष्ट्र आत्मनिर्भर भारत के नेतृत्व दृष्टिकोण और विकास में तेजी लाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी की ओर देख रहा हैः डॉ. हर्षवर्धन विज्ञान और प्रौद्योगिकी लद्दाख जैसे क्षेत्रों में अधिक प्रासंगिक हो जाती है जहां कठोर पर्यावरण मानव और पशुओं के जीवन के लिए चुनौती पेश करता हैः केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल श्री आर. के. माथुर
 

नई दिल्ली : केन्‍द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्‍वी विज्ञान और स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस साल कोविड-19 के कारण वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसफ)-2020 का आयोजन करना विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के सभी हितधारकों के बीच विज्ञान के पोषण और जश्न की अजेय भावना को दर्शाता है। वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), लद्दाख के उच्च उन्नतांश अनुसंधान रक्षा संस्थान (डीआईएचएआर) द्वारा आयोजित आईआईएसएफ-2020 के पूर्वालोकन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दर्शकों को संबोधित कर रहे थे।

इस वर्चुअल समारोह में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल श्री आर के माथुर, लद्दाख के सांसद श्री जामयांग शेरिंग नामग्याल, लेह लद्दाख एलएएचडीसी के चीफ एक्जक्यूटिव काउंसलर श्री ताशीग्यालसन, डीआरडीओ के चेयरमैन और डीडीआरएंडडी के सचिव डॉ. जी सतीश रेड्डी, डीआईएचएआर लेह के निदेशक डॉ. ओ पी चौरसिया और डीआरडीओ के डीएस एवं डीजी (एलएस) डॉ. ए के सिंह शामिल थे।

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डॉ. हर्षवर्धन ने उम्मीद जताई कि “डिजिटल प्लेटफॉर्म के प्रयोग के साथ आईआईएसएफ बस एक क्लिक से देश के सुदूरवर्ती कोनों से लोगों को साथ लाने में सक्षम होगा जिससे आईआईएसएफ के आयोजन का उद्देश्य पूरा करने में सहायता मिलेगी।” इस समारोह से जुड़े सभी संगठनों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सभी हितधारकों को शानदार सफलता की शुभकामनाएं देते हुए मंत्री जी ने कहा, “आईआईएसएफ-2020 अलग-अलग विषयों के 10,000 से ज्यादा शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को अपने शोध परिणामों पर चर्चा करने और अभिज्ञात शोध विषयों पर नवाचार विचारों के आदान-प्रदान का प्रस्ताव देता है।”

डॉ. हर्षवर्धन ने आगे कहा, “आईआईएसएफ-2020 की थीम: ‘आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक कल्याण के लिए विज्ञान’ आज के संदर्भ में बहुत प्रासंगिक है जब राष्ट्र ‘आत्मनिर्भर भारत’ के नेतृत्व दृष्टिकोण और विकास में तेजी लाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी की ओर देख रहा है।” उन्होंने कहा, “आईआईएसएफ छात्रों और विज्ञान से प्यार करने वाले जीवन के सभी क्षेत्र के नागरिकों के लिए बहुतप्रतीक्षित वार्षिक आयोजन है।”

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “वैज्ञानिक विकास के माध्यम से लद्दाख में स्थानीय लोगों और सैनिकों के रहने की स्थिति में सुधार लाने तथा रणनीतिक रूप से स्थित इस क्षेत्र में सैन्य नागरिकों के समेकन में विशिष्ट योगदान के कारण लेह में 11500 फीट की ऊंचाई पर स्थित डीआरडीओ के उच्च उन्नतांश अनुसंधान रक्षा संस्थान (डीआईएचएआर) को इस कार्यक्रम के लिए चुना गया है।” उन्होंने खुशी जताते हुए कहा, “आज लद्दाख में किसान प्रतिकूल क्षेत्रों में भी फल और सब्जियां की विभिन्न किस्में उगा रहा है जो कुछ दशक पहले संभव नहीं था।” डॉ. हर्षवर्धन ने संतुष्टि प्रकट करते हुए कहा, “संस्थान का योगदान जमीनी स्तर पर परिवर्तन लाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी की वास्तविक शक्ति को दर्शाता है। मेरे विचार से आईआईएसएफ-2020 के आयोजकों ने इस आगामी महोत्सव के पूर्वालोकन कार्यक्रम के लॉन्च के लिए सही स्थान का चयन किया है। संस्थान द्वारा किया जा रहा कार्य वास्तव में इस इवेंट के उद्देश्य से मेल खाता है।” उन्होंने कहा, “मुझे बहुत संतुष्टि है कि इस श्रृंखला में एक पूर्वालोकन कार्यक्रम का आयोजन नवस्थापित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में किया गया है।”  

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल श्री आर के माथुर ने अपने संबोधन में, आबादी के सामाजिक-आर्थिक स्तर में सुधार लाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका और चुनौतीपूर्ण भौतिक सीमाओं के बावजूद, देश के हर कोने में पहुंचने की इसकी अन्तर्निहित क्षमता के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “लद्दाख जैसे क्षेत्रों में यह और अधिक प्रासंगिक हो जाता है जहां कठोर पर्यावरण मानव और पशुओं के जीवन के लिए चुनौती पेश करता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने लद्दाख में सामान्यजन की आजीविका को और अधिक आरामदायक बनाने में बहुत मदद की है और स्थानीय किसानों के लिए लाभदायक रहा है, जिसमें डीआईएचएआर का योगदान प्रशंसनीय है।” उन्होंने लद्दाख क्षेत्र को शून्य कार्बन उत्सर्जन के साथ आत्मनिर्भर बनाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के दोहन की बड़ी संभावना के बारे में भी बताया।

लद्दाख के सांसद श्री जामयांग शेरिंग नामग्याल ने अपने संबोधन में डीआईएचएआर द्वारा लद्दाख में सब्जियों की किस्मों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए उपयुक्त तकनीक विकसित करके दिए गए योगदान के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “इस प्रकार के प्रयास को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संभावित प्रयोग से तमाम अन्य क्षेत्रों और दूर-दराज के स्थानों पर प्रचारित करना चाहिए।”

डीआरडीओ के डीएस एंड डीजी (एलएस) डॉ. ए के सिंह ने विज्ञान को शोध एवं विकास (आरएंडडी) के दायरे से बाहर निकालने के महत्व के बारे में बात की ताकि आबादी की आजीविका स्वस्थ, किफायती और टिकाऊ बने। उन्होंने प्रचलित स्थानीय समस्याओं के स्थानीय समाधान ढूंढने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को मजबूत करने पर भी जोर दिया।

लेह में डीआईएचएआर के निदेशक और इस कार्यक्रम के संयोजक डॉ. ओ पी चौरसिया ने अपने स्वागत संबोधन में लद्दाख के दूरवर्ती स्थान पर इस प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन की महत्ता का जिक्र किया और लद्दाख के इस उच्च उन्नतांश क्षेत्र में जनता के बीच विकसित तकनीक के प्रसार का संकल्प लिया।  

इस कार्यक्रम में ऑनलाइन मीडिया के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि प्रशासन, नीति, शिक्षा, कृषि, उद्यमिता और छात्रों की भागीदारी देखी गई।

1960 में स्थापित, डीआईएचएआर ने विशिष्ट इलाकों और मौसमी परिस्थितियों के लिए क्षेत्रीय रूप से अनुकूल कृषि-पशु तकनीक विकसित की है। संस्थान स्थानीय जनता के लिए सामाजिक-आर्थिक विकास की रणनीतियों को देश की सुरक्षा रणनीतियों के साथ मिलाने हेतु अच्छा काम करना जारी रखती है ताकि राष्ट्रीय पुनरुद्धार लक्ष्यों के समर्थन में एकीकृत राष्ट्रीय रणनीतिक प्रणाली और क्षमताओं का निर्माण किया जा सके, जो कि वर्तमान समय की जरूरत है। डीआरडीओ के तत्वाधान में डीआईएचएआर वैज्ञानिक नवाचारों, तकनीक के स्थानांतरण और स्थानीय आबादी को सेना के लिए ताजे भोजन की उपलब्धता में शामिल करके, हिमालय के उच्च इलाकों में तैनात सेना के भोजन, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बनाने का प्रयास करता है। पिछले कुछ वर्षों से, डीआईएचएआर उच्च उन्नतांश अनुसंधान का अगुआ बना हुआ है और उत्तरी सीमा की रक्षा करते सैनिकों के संपोषण और उनके प्रदर्शन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए उच्च उन्नतांश के लिए ठंडे शुष्क कृषि-पशु तकनीक के विकास का पथ प्रदर्शक भी बना।

6ठे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ)-2020 का आयोजन 22 से 25 दिसंबर 2020 तक वर्चुअल मोड में किया जा रहा है। इस संदर्भ में पूर्वालोकन कार्यक्रम की श्रृंखला देश के अलग-अलग क्षेत्रों में आयोजित की जा रही है ताकि इस कार्यक्रम से अधिकतम आबादी लाभान्वित हो सके। 

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