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जिस तिथि व दिन को मुक्ति हेतु प्रयास किया करते हैं बड़े-बड़े सन्त वह मिला सूर्य प्रकाश को

प्रस्तुति: हर्षमणि बहुगुणा अजात पक्षा इव मातरं खगा: स्तन्यं यथा वत्सतरा: क्षुधार्ता: । प्रियं प्रियेव व्युषितं विषण्णा , मनोरविन्दाक...

प्रस्तुति: हर्षमणि बहुगुणा

अजात पक्षा इव मातरं खगा:

स्तन्यं यथा वत्सतरा: क्षुधार्ता: ।

प्रियं प्रियेव व्युषितं विषण्णा ,

मनोरविन्दाक्ष दिदृक्षते त्वाम् ।।

   "अत्यधिक दुखद,  इस गांव ने अपने प्रिय कामगार लोहार वंश में उत्पन्न किन्तु कर्म से उत्कृष्ट (पत्थर ही नहीं ईंट सीमेंट का) राज मिस्त्री, नाई होनहार बिना साबुन से भी दाड़ी के बालों का पता ही नहीं। स्व० भाना लोहार का जेष्ठ पौत्र श्री सूर्य प्रकाश को बिना किसी गम्भीर बिमारी के, बिना किसी दुर्घटना के २५ नवम्वर २०२० हरिवोधनी एकादशी के दिन खो दिया।



मोक्ष की क्या तिथि मिली, बड़े-बड़े सन्त जिस तिथि को मुक्ति हेतु प्रयास किया करते हैं फिर भी वह तिथि नहीं मिल पाती है, वह तिथि व दिन मिला सूर्य प्रकाश को, तुम्हारे भाग्य की सराहना करते हुए मैं अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। वेताल प्रकाश (बेतालु राम) का इकलौता बेटा अपने दादा जी व पिता जी के पद चिन्हों पर चलने वाला पठाल की छत का अब एक मात्र सुयोग्य मिस्त्री अपने गांव सावली को छोड़कर चला गया जो सन् उन्नीस सौ साठ को इस पवित्र माटी में जन्मा था।

इस दिवंगत आत्मा को केवल अश्रुपूरित श्रद्धांजलि ही अर्पित की जा सकती है, गत वर्ष जिसने अपनी माता श्री को रोते-रोते भावभीनी श्रद्धांजलि (विदाई) दी थी। जो अपनी दो बहिनों का अकेला भाई था, जिसकी बड़ी बहिन उसे पहले ही अलविदा कह चुकी थी। आज उसका जाना केवल पीड़ा व तड़फन को ही दे रहा है। उसे पूरा गांव भावभीनी श्रद्धांजलि समर्पित कर अपने मन को भावनाओं के जाल से निकालने की यथा सम्भव कोशिश कर रहा है। समूचे क्षेत्र ने एक सुयोग्य, इमानदार कर्मी को खोया है।" तुम धन्य हो, क्या ठीक कहा है -

मिलन अन्त है मधुर प्रेम का, और विरह जीवन है ।

विरह प्रेम की जाग्रत गति है, और सुषुप्ति मिलन है ।।

    "जीवन अनित्य है कब किसको बुलाया जाएगा कुछ भी पता नहीं है। स्व० सूर्य प्रकाश के दो चाचा श्री बड़े स्व० मसोदा राम उनका एक पुत्र पंकज अच्छा बढइ है, दूसरे चाचाजी स्व० पत्ती राम के तीन पुत्रों सुख पाल, शीशपाल,  राजपाल अपने काम में लगे हैं। ऐसी स्थिति में सूर्य प्रकाश अपने परिवार व तीन पुत्रों को (चन्द्र प्रकाश ,जय प्रकाश व विजय प्रकाश) अपना उत्तर दायित्व असमय में सौंप कर गांव की इस माटी को अलविदा कह कर चिर निद्रा में चला गया। परिवार की असह्य वेदना के अवसर पर सम्पूर्ण गांव साथ है व अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि समर्पित करता है साथ ही सूर्य प्रकाश की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है। 

अनित्यं यौवनं रूपं जीवितं रत्न संचय:। ऐश्वर्ये प्रिय संवासो गृध्यत्तत्र न पण्डित:।।

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