कवि:सोमवारी लाल सकलानी, निशांत। शिक्षा सदा ज्ञानगम्य हो, न केवल सूचनाओं का थैला। सारयुक्त प्रेरणास्पद शिक्षा, मिट जाए अज्ञानता का मैला। स...
कवि:सोमवारी लाल सकलानी, निशांत।
शिक्षा सदा ज्ञानगम्य हो, न केवल सूचनाओं का थैला।
सारयुक्त प्रेरणास्पद शिक्षा, मिट जाए अज्ञानता का मैला।
सामाजिक सृजनात्मक शिक्षा, नैतिकता नित भरती है,
एक लक्ष्य निर्धारित कर के, शिक्षा रोजगार भी देती है।
सम्मान सफलता पहचान प्राप्ति का माध्यम भी है शिक्षा।
कौशल विकास विज्ञान कला साहित्य देती शिक्षा दीक्षा।
प्रेरणास्पद पाठ्यवस्तु सामग्री,पाठ्यक्रम सुनियोजित हो।
नवाचार नव सृजन के संग, आदर्श नैतिक शिक्षा भी हो।
रचनात्मक सृजनात्मक शिक्षा, चिरस्थाई अरु गहरी हो।
उथला ज्ञान नहीं है फलदायक,शिक्षा साथ प्रशिक्षण हो।
अर्जित ज्ञान विज्ञान मय शिक्षा, रोजगार का साधन हो।
सामाजिक व्यवहारिक शिक्षा,स्वदेश प्रेम आधारित हो।
जनउपयोगी विद्यालयी शिक्षा,आदर्श समसामयिक हो।
विकासोन्मुख प्रयोगात्मक और ना केवल सैद्धांतिक हो।
छात्र अभिभावक शिक्षक संसाधन शिक्षा बहुआयामी हो,
विद्यालय विकास योजना अधिकृत निर्मित अरु लागू हो।
बालसभा विज्ञान गोष्ठियां, साहित्य कला का संगम हो।
कैरियर काउंसलिंग सभा बैठकें निश्चित जीवन दर्शन हो।
प्रधानाचार्य शिक्षक कार्यालय, सदा स्थाई नियमित हो।
समाज संस्कृति प्रवेश परीक्षा,सुख शांति व्यवस्थित हो।
भय आतंक उत्पीड़न कुंठा, बच्चों के ना मन भीतर हो।
प्रतिमाह छ माह वर्ष में, शिक्षक अभिभावक बैठक हो।
सेवानिवृत्त शिक्षक, कवि कुटीर, सुमन कॉलोनी चंबा, टिहरी गढ़वाल।
कोई टिप्पणी नहीं