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शहीदों के घर पर सांत्वना देने वालों का लगा रहा तांता, पिता बोले शहीद की पत्नी को मिले रोजगार

     गजा (News Word): जम्बू कश्मीर के पुंछ सेक्टर में आंतकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए चम्बा ब्लाक के बिमाणगांव के शहीद बिक्रम स...

शहीदों के घर पर सांत्वना देने वालों का लगा रहा तांता, पिता बोले शहीद की पत्नी को मिले रोजगार

    

गजा (News Word): जम्बू कश्मीर के पुंछ सेक्टर में आंतकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए चम्बा ब्लाक के बिमाणगांव के शहीद बिक्रम सिंह नेगी व फकोट ब्लाक के रामपुर खाड़ी के शहीद अजय रौतेला के घर में सांत्वना देने वालों का लगातार तांता लगा हुआ है ।  दूरदराज़ गांवों से महिलाएं व पुरुष सांत्वना देने व परिवार को ढाढस बंधाने पहुंच रहे हैं। 

बिमाणगांव में कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष हिमांशु विजलवाण तथा पूर्व लोक सभा प्रत्याशी मनीष खंडूरी पहुंचे।  शहीद के परिवार में उसकी बूढ़ी दादी रुकमा देबी , पिता साहब सिंह , माता बिरजा देबी तथा पत्नी पार्वती देबी  का रो रोकर बुरा हाल है । शहीद का डेढ़ साल का बालक प्रियांक चुपचाप खड़ा है। 

शहीद बिक्रम सिंह नेगी के पिता साहब सिंह ने रुंआसे मन से कहा कि वैसे तो उन्हें अपने बेटे पर गर्व है कि देश सेवा में शहीद हुआ है लेकिन 23 साल की उसकी पत्नी डेढ़ साल के बालक के साथ कैसे जीवन चलायेगी क्योंकि हम सभी बुजुर्गों की देखभाल कैसे होगी। 

उन्होंने कहा कि सड़क का नामकरण की घोषणा तो ठीक है लेकिन शहीद हुए सैनिक की पत्नी को सरकारी नौकरी मिल जाती तो अच्छा होता ।  गांव के प्रधान सुरेन्द्र सिंह नेगी का भी यही कहना है। मनीष खंडूरी व हिमांशु विजलवाण, कुंवर सिंह चौहान, प्रेमसिंह चौहान, राजबीर भंडारी , सुशील कोठारी ने शहीद सैनिक पूरे देश का सम्मान है। 

शहीदों के घर पर सांत्वना देने वालों का लगा रहा तांता, पिता बोले शहीद की पत्नी को मिले रोजगार

शहीद ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। इस समय आवश्यकता दुख से भरे समय से हटकर सामान्य दिनचर्या में आने की है इसके लिए हिम्मत से रहना है।  स्मरण रहे कि शहीद के पार्थिव शरीर पहुंचने के दिन कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने बिमाणगांव खांड जाने वाली सड़क का नामकरण शहीद के नाम करने की घोषणा की थी।  कांग्रेस कमेटी के मनीष खंडूरी व हिमांशु विजलवाण बिमाणगांव से रामपुर खाड़ी में शहीद अजय रौतेला के घर पर परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे। दोनों शहीदों के गांव में आज भी मातम छाया हुआ है।

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