News Word Special, देवप्रयाग : विश्व योग दिवस पर राजकीय महाविद्यालय देवप्रयाग में एक दिवसीय योग दर्शन और इतिहास विषय पर वर्चुअल रा...
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देवप्रयाग: विश्व योग दिवस पर राजकीय महाविद्यालय देवप्रयाग में एक दिवसीय योग दर्शन और इतिहास विषय पर वर्चुअल राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई एवं नमामि गंगे प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित की गई। इस कार्यशाला में देश के कई प्रदेशों से शिक्षाविदों शोध छात्रों विद्यार्थियों कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना एवं स्वयंसेवकों ने प्रतिभाग किया।
कार्यशाला की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य एवं संगोष्ठी के संरक्षक प्रोफेसर शांति प्रकाश सती द्वारा की गई प्राचार्य द्वारा संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि विषय विशेषज्ञ द्वारा विषय एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा हम छठा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहे हैं। वर्तमान महामारी से हमारी जीवन शैली में अभूतपूर्व बदलाव करने पड़े हैं, जिससे लोगों में अवसाद और चिंता जैसे स्वास्थ्य परिस्थितियां भी बढ़ी हैं।
कोरोनावायरस के दौरान घर पर ही रहना पड रहा है, बहुत से लोग वर्क फ्रॉम होम में है ऐसे में न केवल पैदल चलना दुर्घटना या जिम में कसरत करना नहीं हो पा रहा है ऐसे में हम घर पर ही रहकर योग करके खुद को फिट रख सकते हैं। योग एक ऐसी शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक व्यायाम प्रक्रिया है जो भारत में शुरू हुई थी और अब दुनिया भर के विभिन्न रूपों में लोकप्रिय व प्रचलित है। योग शब्द का मूल संस्कृत भाषा में है जिसका अर्थ होता है सम्मिलित या एकत्र होना। इसका भावार्थ शरीर और चेतना को एक करने से है।
कार्यशाला
के मुख्य अतिथि और कीनोट स्पीकर विश्व प्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर दौलत
सिंह प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष कैंसर रोग विभाग राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर
उत्तराखंड ने अपने संबोधन में कहा आज से करीब सवा साल पहले देशभर में कोरोना की पहली लहर ने
हमला किया था। लाखों लोग कोरोना के शिकार हुए थे, जिनमें सबसे ज्यादा तादाद उस समय बुजुर्गों की थी। तकरीबन
ढाई महीने पहले कोरोना की दूसरी लहर आई और इस बार 25 से 45 साल के यंग लोग कोरोना के निशाने पर हैं, लेकिन
एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि देश जल्द ही इस वायरस की तीसरी वेव से जूझने
वाला है और इस बार हमला नन्हे-मासूम बच्चों पर हो सकता है।
फिलहाल
बच्चों में केस ज्यादा गंभीर नहीं हैं और उनमें ज्यादातर लक्षण बुखार और डायरिया
के हैं, लेकिन
रिसर्च की माने तो 5 से 14 साल के बच्चे कोरोना के सुपर स्प्रेडर जरूर हैं और कोविड के
बढ़ते केस की वजह भी हैं। तीसरी वेव बच्चों के लिए खतरनाक ना हो, इसलिए
वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है, लेकिन जब तक बच्चों की वैक्सीन नहीं आती, तब तक
योग से आप अपने बच्चों को मजबूत बनाएं। विषय विशेषज्ञ डॉ नीतबिहारी लाल सक्सेना वर्तमान संकट की इस
घड़ी में जहां बड़े-बड़े विकसित राष्ट्रों की सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्थाओं में
पतन की स्थिति दृष्टिगोचर होती है तो वहीं भारतीय संस्कृति अपने जीवन मूल्यों के
आधार पर पुनर्जीवन प्रदान कर रही है।
भारतीय
संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन संस्कृतियों में से एक प्राचीन एवं समृद्ध
संस्कृति है। अन्य राष्ट्रीय की संस्कृति तो समय-समय पर नष्ट होती रही है किंतु
भारत की संस्कृति आदि काल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ आज भी अपने मूल
स्वरूप में जीवित है। भारतीय संस्कृति न केवल प्राचीनता का प्रमाण है बल्कि वह
भारतीय अध्यात्म और चिंतन की भी श्रेष्ठ अभिव्यक्ति है। गीता और उपनिषद के संदेश
हजारों सालों से हमारी प्रेरणा और कर्म का आधार रहे हैं।
विषय
विशेषज्ञ डॉक्टर शैलेंद्र नारायण कोटीयाल प्राचार्य रघुनाथ कीर्ति आदर्श संस्कृत
महाविद्यालय देवप्रयाग ने अपने संबोधन में कहां योगसूत्र में चित्त को एकाग्र करके
ईश्वर में लीन करने का विधान है। पतंजलि के अनुसार चित्त की वृत्तियों को चंचल
होने से रोकना ही योग है। अर्थात् मन को इधर-उधर भटकने न देना, केवल
एक ही वस्तु में स्थिर रखना ही योग है।योग का महत्व एक अच्छी जीवन शैली कर एक
स्वस्थ जीवन जीना है' स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है', यह
सिद्धांत सर्वमान्य है।
लौकिक
और पारलौकिक दोनों ही प्रकारों के प्रयासों की सफलता के लिए स्वस्थ शरीर इसीलिए
आवश्यक है। योग शिक्षा में आहार-विहार के नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक है।
श्रीमद् भगवद्गीता में स्पष्ट ही कहा है कि जो 'युक्ताहारविहार' नहीं हैं, उन्हें जीवन में कोई सफलता नहीं मिल सकती।
कार्यशाला
के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री एनएसएस एवं नमामि गंगे नोडल अधिकारी डॉ अशोक कुमार
मेंदोला ने अपने संबोधन में कहा इस कार्यशाला को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य
लोगों में योग एवं कोविड-19 के प्रति समाज में जागरूकता लाना है एस ओ एस गाइड लाइन का का
पालन करना है और सभी को वैक्सीनेशन के लिए प्रोत्साहित करना है। डॉक्टर मेंदोला
द्वारा सभी प्रतिभागियों को का धन्यवाद ज्ञापित किया और प्रतिभागियों के आग्रह पर
कार्यशाला के दौरान आए नए विषयों पर भविष्य में कार्यशाला करने का आश्वासन दिया।
डॉक्टर
मेंदोला द्वारा पूर्व में भी राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर सेमिनार और कार्यशाला
का आयोजन महाविद्यालय में किया गया है और इस अवसर पर शिव शंकर मौर्य, मनोज कुमार जौहरी, डॉ. महेशानंद
नोरियल, डॉ. मनीषा सती, डॉ. महेंद्र सिंह पवार द्वारा भी कार्यशाला को संबोधित एवं
सुझाव दिए गए। इस कार्यशाला में देश एवं प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों विद्यालयों
महाविद्यालयों ग्राफिक ईरा डीम्ड एवं हिल यूनिवर्सिटी के छात्रों के अलावा एनएसएस
कार्यक्रम अधिकारी प्रोफ़ेसर शोध छात्र ने प्रतिभाग किया।
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